राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा ( ram mandir pran prathistha)
राम मंदिर महोत्सव: एक अद्भुत ऐतिहासिक घटना
भारतीय संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिसा, राम मंदिर का महोत्सव, आज हमारे सामने है। 500 साल से अधिक का समय लगते हुए भी, आज ये सपना पूरा हो रहा है। क्या महोत्सव में सबको मिलके भाग लेना और एक उत्सव के रूप में मनाना हमारे संवेदनाशील भावनाओं को दर्शाता है। क्या अदभुत घाटनये हमेशा हमारे इतिहास में अमर रहेंगी, जिनमें शहीदों का कुर्बान और लोगों की तड़प का अंत हुआ। आज, क्या विजय को पूरा करने का समय आ गया है। जय श्री राम!
इतना बड़ा समय:
राम मंदिर का निर्माण एक ऐतिहासिक महायज्ञ था, जो 1528 में शुरू होकर 2024 में अपने अंत तक पहुंच जाएगा। इसमे लगभाग 500 साल से अधिक का समय लग गया। लेकिन ये समय भी एक मंथन का समय था, जिसमें भारतीय समाज ने अपनी एकता और समर्पण का प्रतीक बनाया।
जनता का साथ:
महोत्सव का मूल मंत्र है सबको साथ लेकर आना। जनता ने यह घाटनये अपने जीवन में गहरी से महसूस की है और उनका सहयोग भी इसमें महत्तवपूर्ण था। हर कोना-कोना से लोगों ने इस महोत्सव में अपना योगदान दिया। इसे दिखाता है कि राम मंदिर का निर्माण सिर्फ एक भव्य भवन का निर्माण नहीं था, बाल्की ये एक विचारधारा का भी प्रतीक था।
विजय की उम्मीद:
इस महोत्सव से जुड़ी हुई बड़ी बात ये है कि इस लोगों में विजय की उम्मीद जगी है। लोग समझ रहे हैं कि अगर उन्हें एक साथ मिलके एक बड़े लक्ष्य के लिए काम करना है, तो हर मुश्किल को पार किया जा सकता है। राम मंदिर का निर्माण एक ऐसा संकल्प है, जो सारी दुनिया को दिखाता है कि भारत एक साथ है और उसकी संस्कृति उसके लोगों के दिल में जिंदा है।
शहीदों का सम्मान:
क्या महोत्सव में शहीदों का भी विशेष सम्मान होना चाहिए। अपने जीवन को इस महायज्ञ के लिए कुर्बान किया। उनकी बलिदान भावना को समझे हुए उनका सम्मान करना हमारा धर्म है। उनकी तपस्या और कुर्बानियों से ही आज ये महोत्सव साकार हुआ है।
ऐतिहासिक भूमिका:
राम मंदिर का निर्माण एक ऐतिहासिक भूमिका भी है। इसमें अयोध्या की मिट्टी का महत्व है, जो भगवान राम की जन्मभूमि का प्रतीक है। इसमें भारतीय संस्कृति और विरासत का संवेदनाशील सहयोग है। महोत्सव के इस लम्हे में हमें अपनी ऐतिहासिक जड़ों को याद रखना चाहिए।
आज का महत्वा:
आज, जब हम इस विजय पर पहुंच गए हैं, हमें इसको अपने जीवन में महत्व देना चाहिए। इससे हमें सीख मिलती है कि समर्पण और एकता से हम किसी भी बड़ी मुश्किल को पार कर सकते हैं। क्या महोत्सव से हमें ये भी सीखना है कि हमारा इतिहास, हमारे वर्तमान को कैसा आकार देता है और हमारे भविष्य को कैसे निर्देशित करता है।
चींटी में:
राम मंदिर का महोत्सव एक अंत में पहुंच गया है, लेकिन इसका प्रभाव हमेशा रहेगा। इसे हमें एक नई दिशा और एक नई ऊर्जा मिलती है। आज का दिन हमारे लिए एक नया प्रारंभ है, जिसे हमें संवेदनाशील भावना के साथ मनाना चाहिए।
क्या विजय के इस महोत्सव में, हमें एक दूसरे के साथ मिलकर खुशियों का अनुभव करना चाहिए। ये समय है एक नई शुरुआत की या बढ़ने का। तो दोस्तो हम इस 22 जनवरी 2024 को अपना तहेवार बनाए और सब मिलकर प्राण प्रतिष्ठा में अपना रोल निभाए [ जय श्री राम ⛳ ]
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